ब्रह्मकुमारी शिवानी दीदी के हिंदी सुविचार – BK Shivani Quotes in Hindi
परिवार के लिए धन कमाना, खाना बनाना,
उनका हर तरह से हम ध्यान रखते हैं।
लेकिन सब कुछ करते हुए , अगर हम
थके हुए हैं , किसी बात से परेशान हैं ,
किसी से नाराज हैं या उदास हैं , तो
हम परिवार को कौन से vibrations देते हैं ?
पहले अपना ध्यान रखे , सब कुछ करते हुए
खुशी, शांति, शक्ति के vibrations फैलाएं।
Self-Care is a Necessity
किसी की आदत को देखकर
मेरा मन अगर परेशान होता है ,
मैं या तो उनके मन -
"आप अपनी आदत बदल दीजिये"
या मैं अपने मन को कहूँ -
"उनकी आदत है , आप शांत रहिये"
दोनों में से कौन सा आसान लगता है?
अपने मन से बात करें, वह आपका कहना जरूर मानेगा।
जब हम किसी को डाँटते हैं ,
डाँट १ मिनट की थी, लेकिन
उन्होंने कब तक याद रखी?
5 मिनट, 5 दिन , 5 साल... ?
जब तक वह अशांत रहेंगे
हमें अशांति के Vibrations मिलेंगे,
हम सदा खुश नहीं रह पायेंगे।
सब को सुख दो... सदा खुश रहो
हिंदी में गुड मॉर्निंग कोट्स पढ़ें – Good Morning Quotes and Wishes in Hindi
जैसा धन वैसा अन्न
जैसा अन्न वैसा मन
जैसा मन वैसा तन
सात्त्विक धन कमाएं
दुआएँ साथ में आएं
ख़ुशी और सेहत का सुख पाएं।
कुछ लोगों को हम माफ़ नहीं कर पाते,
उनसे बात भी नहीं करते हैं , लेकिन
अगर उनकी गलती हमें याद रहती है,
हम उनके बारे में सोचते हैं ,
उनके बारे में औरों से बात करते हैं ,
तो हम उन्हें ही याद कर रहे हैं।
एक दूसरे से negative energy से जुड़े हुए हैं।
Forgiveness means -
They Do Not Live On Your Mind Anymore
If we check our habits and sanskars
We know WHAT we want to change
We know WHY we need to change
We know HOW we have to change
And yet we are unable to change?
The WHAT, WHY & HOW of change
Works only and only when there is a
DEEP WANT TO CHANGE
जब हम अपना काम करते हैं ,
या हम किसी के लिए कुछ करते हैं ,
हमें सही लगता है इसलिए करते हैं।
हमें अच्छा लगता है इसलिए करते हैं।
फिर प्रशंसा की अपेक्षा क्यों रखते हैं?
ना मिलने पर दुःखी क्यों होते हैं ?
निंदा मिलने पर नाराज़ क्यों होते हैं ?
लोगों का स्वाभाव पसंद नहीं आता
तो हम कहते हैं "वह गलत हैं"।
हर आत्मा ने कई जन्म लिए, हर जनम में -
परिवार अलग, परिस्थियाँ अलग, अनुभव अलग,
इसीलिए आज उनके संस्कार हम से अलग।
वह "अलग" हैं... "गलत" नहीं।
शब्द बदलिए... रिश्ते बदल जायेंगे।
शुक्रिया उनका जो हमें सम्मान देते हैं , लेकिन
जो हमसे सही व्यवहार नहीं करते -
"आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आप ना आते, तो हम झुकते नहीं,
हम झुकते नहीं, तो हमारा अहंकार घटता नहीं ,
अहंकार घटा, तो हमने सही कर्म किये ,
सही कर्म ने हमारा श्रेष्ठ भाग्य बनाया,
आपने हमारा भाग्य बिगाड़ा नहीं, सँवारा है "
हमें किसी की आदत पसंद नहीं आती,
हम उनके बारे में कैसा सोचते और बोलते हैं -
"यह तो है ही ऐसा... "
"यह कभी नहीं सुधरेगा..."
यह vibrations आदत को और मजबूत करती हैं।
वह ना सोचें और बोलें जो दीखता है,
सिर्फ वह सोचें बोलें जो देखना चाहते हैं।
"यह हर काम बहुत अच्छे से करते हैं.... "
कोई हमें धोखा देता है.. झूठ बोलता है..
कोई नज़र अंदाज करता है..
हमें दुःख होता है, हमारा अपमान हुआ
यह सोचकर हम उदास रहते हैं
और उनसे नाराज होते हैं।
वह हमें दुःख नहीं दे रहे ,
वह खुद अंदर से बहुत दुखी हैं ,
उनके दर्द को अपना ना बनायें।
स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल सुविचार – Swami Vivekananda’s Quotes in Hindi
अगर हमारी भावना और कर्म सही है,
तो कुछ भी साबित करने की जरुरत नहीं।
लोग क्या सोचते हैं , क्या बोलते हैं ,
इस बात से कभी डरना नहीं।
वह अपने कर्म कर रहे हैं , हम अपने कर रहे हैं।
सत्य को सिद्ध नहीं करना पड़ता
सत्य के पास खुद को प्रत्यक्ष करने की ताकत है
सुन्दर रिश्ते बनाने के लिए - मीठे बोल,
सही व्यवहार, प्यारे messages ,
महंगे तोहफे ... कितनी मेहनत करते हैं।
अंदर पुरानी बातें और नाराजगी पकड़ी है।
ग़लतफहमी का एक झोंका,
रिश्तों को बिखेरने के लिए काफी है।
रिश्तों को बाहर से सँवारने की मेहनत नहीं,
अंदर से नींव मजबूत बनाने का ध्यान रखें।
लोग हम से जब कुछ कहते हैं ,
उनकी बात सुनकर,
हम खुद से क्या कहते हैं ?
उनकी बात प्यारी हो या कड़वी हो,
अगर हम खुद से प्यारी बात कर लें
हम हमेशा खुश रहेंगे।
दर्द उनकी बात से नहीं, उनकी बात सुनकर,
खुद से की हुई बात से होता है।
उन्हें ठीक से बात करना नहीं आता,
हमें तो आता है।
"आपने मेरा अपमान किया , मुझे दुःख दिया... "
हम अपेक्षा रखते हैं ,
वह माफ़ी मांगें और वह बदलें।
यह हो भी सकता है और नहीं भी।
लेकिन एक चीज जरूर हो सकती है ,
हम खुद से अच्छी बातें करें।
"उनका व्यवहार ... उनके संस्कार हैं ,
उसका मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता "
सोचना कुछ और... बोलना कुछ और -
बोल - "मैं जरूर आऊँगा"
सोच - "मुझे नहीं जाना"
बोल - "खाना बहुत अच्छा बना है"
सोच - "बिलकुल स्वाद नहीं"
अगर कोई बात बोलने लायक नहीं ,
तो वह सोचने लायक भी नहीं।
सोच को बदलें , बोल को नहीं ...
रिश्ते बोल से नहीं... सोच से बनते हैं।
किसी की आदत को देखकर
मेरा मन अगर परेशान होता है ,
मैं या तो उनके मन -
"आप अपनी आदत बदल दीजिये"
या मैं अपने मन को कहूँ -
"उनकी आदत है , आप शांत रहिये"
दोनों में से कौन सा आसान लगता है?
अपने मन से बात करें, वह आपका कहना जरूर मानेगा।
"भगवान करे मेरा काम हो जाये..
बहुत मेहनत की है, पता नहीं क्या होगा..
पिछली बार भी ठीक हुआ था.."
यह कमज़ोर संकल्प और बोल हैं।
"मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ , मेरा हर कर्म सही है ,
परमात्मा का ज्ञान और दुआएं मेरे साथ हैं ,
सफलता मेरे लिए निश्चित है"
ध्यान से सोचें.. संकल्प से सिद्धि होती है